हे चरनस रन वने गंगा बागमति (धु)।।
हे स्वव स्वव जीहा वाल करुणाहा जीस्यन।
हे मन नाम निते मन नाम निते दुःख छिपालिसं फेहेने (धु) चरनस रन वने गंगा बाहगमति ।।१।।
हे पले मदु छ्येंसं च्वने धिराजया न्हाहाव।
हे धंजा मदु सिमा धंजा मदु सिमा गन दई व प्राण (धु)।।२।।
हे बिना तिखं ल्हाय जीन न्यसे दिय माल।
हे भय समुन्दर भय समुन्दर लहखँ लहहपे माल (धु) ।।३।।
हे अज्ञानीया तनमन भाव छिचरन।
हे सिधि नर सिंह सिधि नर सिंह स्वाहामी गोपि नाहाथया भाव (धु)।।४।।
Dec 02